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Sat. May 18th, 2024


देहरादून। नेशनलिस्ट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (एनयूजे उत्तराखंड) ने उत्तराखंड में राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित कुछ प्रेस क्लबों की स्वेच्छाचारिता को लेकर इनमें नोडल अधिकारी नियुक्त करने या इन्हें नोडल विभाग के अधीन करने की मांग की है।

यूनियन के संरक्षक त्रिलोक चंद्र भट्ट ने प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं विशेष प्रमुख सचिव (सूचना) को भेजे पत्र में कहा है कि उत्तराखण्ड सरकार/शासन द्वारा राज्य में कई प्रेस क्लबों को अधिसूचित कर अनेक सुविधाएं प्रदान की गई हैं। जिसके तहत प्रेस क्लबों को सरकार/शासन/निगम/निकाय आदि के माध्यम से करोड़ों रूपये की भूमि/भवन आदि आवंटित हैं। पत्र में कहा गया है कि प्रेस क्लब सरकारी मद से मुख्यमंत्री, मंत्रीगण, सांसद एवं विधायक निधियों से भी समय-समय पर लाखों का अनुदान और सहायता प्राप्त करते हैं।

श्री भट्ट द्वारा दिए गये पत्र में कहा गया है कि राज्य में प्रेस क्लबों से अलग पत्रकारों की अनेक पंजीकृत संस्थाएं व पंजीकृत यूनियने भी हैं। जबकि प्रेस क्लब न तो पत्रकारों की प्रतिनिधि संस्था हैं और न ही मातृ संस्था हैं। बावजूद इसके ये प्रेस क्लब प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से सरकारी मदद व सहायता प्राप्त करते रहे हैं। उन्होंने कहा है कि सरकारी अनुदान/निधियों से प्रेस क्लबों को आवंटित भूमि, भवन व संसाधनों का लाभ राज्य के अधिसंख्य पत्रकारों के बजाय केवल कुछ चुनिंदा लोगों को ही मिल रहा है। जिस कारण कई जगहों पर विवाद चल रहे हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं विशेष प्रमुख सचिव (सूचना) अभिनव कुमार को भेजे पत्र में कहा गया है कि राज्य के जिन प्रेस क्लबों में विभिन्न आवर्तिता वाले साप्ताहिक, दैनिक और अन्य मान्यता प्राप्त और गैर मान्यता वाले अधिसंख्य पत्रकारों को सदस्यता मिलनी चाहिए थी, उन्हें प्रेस क्लबों द्वारा सुनियोजित तरीके से जानबूझ कर सदस्यता नहीं दी जाती हैं। इसका प्रमुख कारण प्रेस क्लबों पर कुछ गुटों और गठबंधनों का काबिज होना है, और ये केवल कुछ लोगों व समूहों की राजनीति के केन्द्र और उनके हित साधन के माध्यम बन कर रह गये हैं। श्री भट्ट द्वारा कहा गया है कि ऐसे क्लब संवैधानिक मर्यादाओं व पत्रकारों के मौलिक अधिकारों की रक्षा कर पाने में ही असमर्थ ही नहीं रहे हैं, बल्कि पत्रकारों की गरिमा व न्याय पाने के अधिकार को जिस तरह खण्डित व ध्वस्त करते हैं, उसकी मिशाल लोकतंत्र के इतिहास में नहीं मिलती। उन्होंने कहा है कि कालांतर में सरकार ने जिस मंशा और उद्देश्य से प्रेस क्लबों को अधिसूचित किया था, उनमें लोकतांत्रिक मर्यादाएं नष्ट होने के कारण ही राज्य के अधिसंख्य पत्रकारों को उसका वास्तविक लाभ नहीं मिल पा रहा है। श्री भट्ट के अनुसार कुछ लोगों और समूहों द्वारा अपने हितलाभ के लिए इच्छित रूप से नियम, संविधान, सोसाइटियां बना कर प्रेस क्लबों में स्वेच्छाचारिता कर लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या की जा रही है।

श्री भट्ट ने राज्य के मुख्यमंत्री और विशेष प्रमुख सचिव (सूचना) से राज्य के अधिसंख्य पत्रकारों के हित में मांग की है कि सरकार/शासन/निगम/निकाय आदि सहित मंत्री/सांसद या विधायक निधि से किसी भी रूप में सहायता प्राप्त करने वाले प्रेस क्लबों में सूचना एवं लोक सपंर्क विभाग उत्तराखण्ड को नोडल विभाग तथा जिला सूचना अधिकारियों को नोडल अधिकारी नियुक्त करने के लिए उचित कार्रवाई की जाय।

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